डेरी फार्म में पशुओं को बाँधने में दो तरीकों को प्रयोग में लाया जाता है—
1. मुँह से मुंह वाली विधि (Face to Face System)– डेरी भवनों/पशुशालाओं में पशुओं को इस प्रकार से बाँधते हैं कि एक पंक्ति के पशुओं के मुह दूसरी पंक्ति के पशुओं के मुँह के सामने रहते हैं अर्थात् पशु इस प्रकार से खड़े होते हैं कि उनका मुख एक-दूसरे के सामने रहता है। इस पशुशाला की अधिकतम चौड़ाई 30 फीट होती है। इस प्रकार की पशुशालाओं में बिच का रास्ता दोनों ओर के पशुओं के लिये संयुक्त रूप से भोजन मार्ग के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार की पशुशाला दोनों ओर के पशु के के लिये अलग-अलग पेशाब की नाली, खड़े होने का स्थान तथा नांदें बनाई जाती हैं।
इस विधि के लाभ
ऐसी पशुशाला कम स्थान में बन जाती है। पशुओं को चारा डालने में विशेष सुविधा रहती है एवं कम समय लगता है। गाय दुहते समय पर्याप्त प्रकाश उपलब्ध रहता है।स्वच्छ दुग्ध पैदा करने में आसानी।
इस विधि से हानियाँ
पशु साँस कम ले पाता क्योंकि पशु के मुँह एक-दूसरे के सामने रहते हैं। पशु के दोहन के समय दो व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है। गोबर तथा पेशाब से पशुशाला की दीवारे गंदी रहती है। पशुशाला की सफाई में अधिक समय लगता है।
2. पूँछ से पूँछ वाली विधि (Tail to Tail System)—आजकल डेरी फार्मों पर यही विधि अपनायी जाती है। इसमें भी पशुओं को दो लाइनों में बाँधा जाता है, लेकिन दोनों ओर के पशुओं के मुँह विपरीत दिशा में होते हैं और पूँछ आमने-सामने होती है।
इस विधि के लाभ
केवल बीच में सफाई की आवश्यकता पड़ती है, अत: समय की पर्याप्त बचत। दोहन के समय केवल एक ही सुपरवाइजर की आवश्यकता पड़ती है।पर्याप्त मात्रा में हवा एवं सूर्य का प्रकाश मिलता है, जिससे पशुओं में रोग फैलने का भय नहीं रहता।
इस विधि से हानियाँ
चारा-दाना डालने में समय अधिक लगता है। इस डेरी भवन में अधिक स्थान की आवश्यकता होती है।